एक किसान पास के शराबखाने में बैठा शराब पिए जा रहा था। एक व्यक्ति उसके पास आया और उसने पूछा‚ "अरे‚ इतने सुहावने दिन तुम यहां बैठे शराब क्यों पी रहे हो?"
किसान : कुछ बातें ऐसी होती हैं जो समझायी नहीं जा सकतीं।
व्यक्ति : ऐसी भी क्या बात हो गयी?
किसान : असल में आज मैं अपनी गाय के पास बैठ कर दूध दुह रहा था। बाल्टी भरने ही वाली थी कि गाय ने अपनी बायीं टांग उठायी और बाल्टी में मार दी।
व्यक्ति : यह कोई बहुत बुरी बात तो नहीं है।
किसान : कुछ बातें ऐसी होती हैं जो समझायी नहीं जा सकतीं।
व्यक्ति : तो फिर क्या हुआ?
किसान : मैंने उसकी बायीं टांग पकड़ी और बायें खंबे से बांध दी।
व्यक्ति : अच्छा फिर?
किसान : फिर में बैठ कर दुबारा उसे दुहने लगा। जैसे ही मेरी बाल्टी भरने वाली थी कि गाय ने अपनी दायीं टांग उठायी और बाल्टी में मार दी।
व्यक्ति : फिर से?
किसान : कुछ बातें ऐसी होती हैं जो समझायी नहीं जा सकतीं।
व्यक्ति : अच्छा फिर तुमने क्या किया?
किसान : इस बार मैंने उसकी दायीं टांग पकड़ी और दायें खंबे से बांध दी।
व्यक्ति : अच्छा उसके बाद?
किसान : फिर से मैंने बैठकर दुहना शुरू कर दिया। फिर से जब बाल्टी भरने वाली थी कि बेवकूफ गाय ने अपनी पूंछ मार कर बाल्टी लुढ़का दी।
व्यक्ति : हूं ऊं ऊं।
व्यक्ति : फिर तुमने क्या किया?
किसान : फिर क्या। मेरे पास और रस्सी नहीं थी इसलिए मैंने अपनी बेल्ट निकाली आर उससे गाय की पूंछ को पटरे से बांध दिया। उसी समय मेरा पैण्ट नीचे सरक गया और मेरी बीवी वहां आ पहुंची।
फिर.....कुछ बातें ऐसी होती हैं जो समझायी नहीं जा सकतीं।
किसान : कुछ बातें ऐसी होती हैं जो समझायी नहीं जा सकतीं।
व्यक्ति : ऐसी भी क्या बात हो गयी?
किसान : असल में आज मैं अपनी गाय के पास बैठ कर दूध दुह रहा था। बाल्टी भरने ही वाली थी कि गाय ने अपनी बायीं टांग उठायी और बाल्टी में मार दी।
व्यक्ति : यह कोई बहुत बुरी बात तो नहीं है।
किसान : कुछ बातें ऐसी होती हैं जो समझायी नहीं जा सकतीं।
व्यक्ति : तो फिर क्या हुआ?
किसान : मैंने उसकी बायीं टांग पकड़ी और बायें खंबे से बांध दी।
व्यक्ति : अच्छा फिर?
किसान : फिर में बैठ कर दुबारा उसे दुहने लगा। जैसे ही मेरी बाल्टी भरने वाली थी कि गाय ने अपनी दायीं टांग उठायी और बाल्टी में मार दी।
व्यक्ति : फिर से?
किसान : कुछ बातें ऐसी होती हैं जो समझायी नहीं जा सकतीं।
व्यक्ति : अच्छा फिर तुमने क्या किया?
किसान : इस बार मैंने उसकी दायीं टांग पकड़ी और दायें खंबे से बांध दी।
व्यक्ति : अच्छा उसके बाद?
किसान : फिर से मैंने बैठकर दुहना शुरू कर दिया। फिर से जब बाल्टी भरने वाली थी कि बेवकूफ गाय ने अपनी पूंछ मार कर बाल्टी लुढ़का दी।
व्यक्ति : हूं ऊं ऊं।
किसान : कुछ बातें ऐसी होती हैं जो समझायी नहीं जा सकतीं।
व्यक्ति : फिर तुमने क्या किया?
किसान : फिर क्या। मेरे पास और रस्सी नहीं थी इसलिए मैंने अपनी बेल्ट निकाली आर उससे गाय की पूंछ को पटरे से बांध दिया। उसी समय मेरा पैण्ट नीचे सरक गया और मेरी बीवी वहां आ पहुंची।
फिर.....कुछ बातें ऐसी होती हैं जो समझायी नहीं जा सकतीं।
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